हज़रत फातिमा रज़ी तल्लाह अन्हा का आखरी वक़्त और हज़रत अली ने कहा नबी की बेटी थी में तेरा हक़ अदा न कर सका
रिवायत में आता है हज़रत अली दहाड़े मारकर रोने लगे फातिमा रज़ि तल्लाह अन्हा के सर पर हाथ फेर कर कहा तुम गम मत करो आज फिकर में करता हु
तू नबी की बेटी थी में तेरा हक़ अदा न कर सका
जब से तूम मेरे घर पर आई हो तुम्हे दो वक्त की रोटी भी नसीब नही हुई है उम्मत के लिए पेट पर पत्थर बाधे है
हज़रत अली कहते है आप नबी की बेटी है और आप कहती है किसी को ना बुलाना में तो सारे मदीने वाले को बुलाऊंगा
फ़ोटो साभार गूगल |
जब हज़रत फातिमा रज़ी तल्लाह अन्हा का आखरी वक़्त था आप ने हज़रत अली और दोनों बेटे हजरत हसन और हजरत हुसैन को पास बुलाया आप की आखो में आंसू कभी आप अली की तरफ देख रही है तो कभी हसन और हुसेन की तरफ फिर कहती है
अली तुम्हारे निकाह में आने के बाद मेरी तरफ से तुम्हे कितनी तकलीफ पहुंची होगी तुमको कितना दुख उठाना पड़ा ए मेरे सोहर मेरे मरने से पहले खुदा के लिए मुझे माफ़ करदो
ताकि कयामत के मैदान में मुझे मेरे वालिद के सामने रुस्वा ना होना पड़े
रिवायत में आता है हज़रत अली दहाड़े मारकर रोने लगे फातिमा रज़ि तल्लाह अन्हा के सर पर हाथ फेर कर कहा तुम गम मत करो आज फिकर में करता हु
तू नबी की बेटी थी में तेरा हक़ अदा न कर सका
जब से तूम मेरे घर पर आई हो तुम्हे दो वक्त की रोटी भी नसीब नही हुई है उम्मत के लिए पेट पर पत्थर बाधे है
फातिमा रज़ी तल्लाह अन्हा रोने लगे गई ए मेरेसोहर जब मेरा इंतकाल हो जाय तो किसी को ना बुलाना
हज़रत अली कहते है आप नबी की बेटी है और आप कहती है किसी को ना बुलाना में तो सारे मदीने वाले को बुलाऊंगा
हज़रत फातिमा रजी ताल्हा अन्हा इसारे से कहती है
नही किसी को नही बुलाना मेरे जनांजे में तुम होंगे और मेरे दोनो बाटे हसन और हुसैन होंगे
अज़रत अली पुछते है कि आखिर वजह क्या है अब फातिमा रज़ि तल्लाह अन्हा रोने लगती है रोते हुए कहती है मेरे वालिद ने कहा था कि बेटी पर्दे में रहना
मेने मेरे वालिद की बात को पूरा किया
ज़िन्दगी में किसी ने मेरे बदन को नही देखा में चाहती हु की मरने के बाद भी कोई मेरा बदन नही देखे
में चाहती हु की मेरा जनाजा रात के अंधेरे में ले जाया जाए ताकि मेरे कफन पर गेर मरहम की नज़र नही पड़े ये बाते कहकर फातिमा रज़ि ताल्हा अन्हा का आखरी जुमला
हज़रत अली से कहती है अली आज मेने रोजा रखा है ख्वाब में मेरे नबी मेरे वालिद ने मुझ से कहा था के
सहरी अली के दस्तरखान पर करना
रोजा इफ्तार इंशाअल्लाह मेरे दस्तारखान पर होगा