रुला देने वाला खत बेटी आसिफ़ा अच्छा हुआ तुम मर गयी The Fakharpur City

बेटी आसिफ़ा ? अच्छा हुआ तुम मर गयी :-

नरेन्द्र मोदी , भाजपा और संघ को बधाई कि उनकी कोशिशों से वह भारत बन गया जहाँ धर्म और जाति , हर अपराध को उचित ठहराने के लिए सामने आ जाती है।


नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में 14 साल यही किया तो भाजपा पिछले 36 साल से और संघ 90 साल से इसी दिन के लिए प्रयासरत थी।


उन सबको उनकी सफलता के लिए बधाई


भारत में बलात्कारी , अपराधी , दंगाईयों को पद देकर बलात्कारी , अपराधी , दंगाई प्रवृत्ती के लोगों को प्रोत्साहित करने का यह परिणाम ही है कि देश में दंगा और बलात्कार से हाहाकार है। />

जय श्रीराम के नारे और तिरंगा यात्रा की छाँव में दंगाई और बालात्कारी का समर्थन किया जा रहा है।


कांग्रेस लाख बुरी सही परन्तु 1984 के सिख विरोधी दंगों के आरोपी सज्जन कुमार , जगदीश टाईटलर और एचकेएल भगत जैसे अपने बड़े नेताओं को उसने पैदल कर दिया , ना तो कभी उनके पक्ष में आई ना कभी उनको किसी तरह का स्पेस दिया , और अभी राजघाट उपवास के मंच से इन दोनों को उतार कर वापस भेज दिया।


परन्तु भाजपा , संघ और मोदी सरकार में ऐसा नहीं होता , जितना बड़ा बलात्कारी , दंगाई और गालिबाज होगा मोदी उसे उतना इनाम देंगे भाजपा उसे पद देगी और संघ उसका पक्ष लेगा क्युंकि उसकी सोच महिला , मुसलमान और दलित विरोधी है।


यही है मनुस्मृति


कठुआ के एक मुस्लिम समुदाय को वहाँ से भगाने के लिए मंदिर के एक पुजारी संजी राम द्वारा उस मुस्लिम समुदाय की 8 साल की मासूम बच्ची आसिफ़ा का अपहरण करके बलात्कार कराया जाता है और इसके लिए मंदिर का प्रयोग किया जाता है , तो तथ्य देखिए कि मंदिर के इस उपयोग पर सारे धर्माधिकारी लोग चुप हैं , हिन्दुओं और हिन्दुत्व की ठेकेदारी करने वाला संघ भी चुप है।


औरंगज़ेब ऐसे ही मंदिर को अपवित्र कह कर ढहा दें कि यहाँ गलत काम हुआ है यह पूजा के योग्य नहीं तो वह इनके ऐतिहासिक खलनायक , और मंदिर को अपवित्र करने वाले संजी राम और मरती मुस्लिम बच्ची से बलात्कार करने वाला पुलिस अधिकारी दीपक कजूरिया इनके नायक।


इनके यही नायक मंदिर में आसिफा को बेहोशी की दवा खिलाकर , 8 दिन तक बालिग , नाबालिग और पुलिस का यह अधिकारी बारी बारी से बलात्कार समारोह मनाते हैं तो उनको मंदिर में उपस्थित उस भगवान से भी डर नहीं लगता , तो समझिए कि ऐसे जिन लोगों को बचाने के लिए विश्व हिन्दू परिषद , भाजपा और उसका समर्थित संगठन "हिन्दू एकता मंच" आगे आया है उन लोगों को उस मंदिर के कलंकित और अपवित्र करने का अफसोस और क्रोध 8 साल की आसिफ़ा के मुसलमान होने के कारण दब गया।



यह ना तो मंदिर के हैं ना सनातन धर्म के ना महिला के ना दलित के ना समाज के ना इंसानियत के , इनका हर समर्थन और विरोध केवल और केवल धर्म आधारित और मुस्लिम विरोध होता है , चाहे इसके लिए नैतिकता की चिता ही क्युं ना जलानी पड़े।


इतिहास गवाह है कि आसिफ़ा पहला उदाहरण नहीं है।



बाबू बजरंगी को याद करिए जब गुजरात के नरोदा पाटिया में गर्भवती मुस्लिम महिला का पेट चीर कर उसके नवजात शिशु को त्रिशूल में गोद कर "जय श्रीराम" के नारे के साथ लहराया , तब भी इन अधार्मिक लोगों ने शिव के त्रिशूल का उपयोग किया और देश चुप रहा , जब अपनी ही बहन का बलात्कारी शंभू रैगर रामनवमी की झांकी में श्रीराम की जगह लेता है तब भी देश चुप होता है तो इसका कारण केवल और केवल यह है कि इन सबके कुकर्मों का पीड़ित एक मुसलमान है।


जब पीड़ित मुसलमान होता है तो देश नपुंसक हो जाता है और यदि आरोपी मुसलमान हुआ तो देश में मर्दानगी आ जाती है।


बाबू बजरंगी को तत्कालीन मोदी सरकार मदद करती रही , शंभू रैगर को हिन्दूवादी मदद करते रहे और उसके खाते में पैसे ट्रान्सफर करने का अभियान चलाते रहे तो आसिफ़ा के बलात्कारी और हत्यारों के साथ विश्व हिन्दू परिषद , भाजपा और उसके विधायक तथा मंत्री खड़े हैं।


चारित्रिक और नैतिक रूप से मजबूत इस देश में बलात्कारी और हत्यारों के लिए तिरंगा लेकर जय श्रीराम के नारे के साथ आंदोलन करने वाले लोग वही हैं जो भारत को तो माता कहते हैं परन्तु उस माता की एक 8 साल की बेटी को मंदिर में बंधक बनाकर सामूहिक बलात्कार करने वालों के लिए नारे लगाते हैं , शंभू रैगर , बाबू बजरंगी , सांजी राम और पुलिस अधिकारी दीपक कजूरिया को मदद पहुचाते हैं।


वाह रे भारत माता के पुत्रों , तुम मर क्यूं नहीं जाते ?


दरअसल इस सबके केन्द्र में मुख्य रूप से अपराधी नरेन्द्र मोदी है क्युंकि वह अपने मुह और जबान से क्या कहता है वह महत्वपूर्ण नहीं है , महत्वपुर्ण यह होता है कि वह किस मामले पर कब बोलता है कब चुप रह कर ऐसे लोगों को मूक समर्थन देता है और कब ऐसे फैसले लेता है कि इस सोच के लोग प्रोत्साहित हों , उपकृत हों।


हत्या का आरोपी , दंगाई और विदेशी समाचारपत्रों द्वारा आतंकावादी घोषित योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना ऐसा ही फैसला था , गिरिराज सिंह , अश्वनी चौबे , संजीव बलियान , थावर चंद गहलोत , दंगाई और सैकड़ों लोगों की हत्यारी माया कडनानी को मंत्री बनाना भी ऐसा ही फैसला था तो अपराधी अमित शाह को भाजपा अध्यक्ष बनाना भी ऐसा ही फैसला था।


सोचिएगा कि मुस्लिम महिलाओं को कब्र से निकालकर बलात्कार करने की घोषणा करवाते एक व्यक्ति को जब पुरस्कार में सूबे का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा तो उसके जैसी मानसिकता के लोग शासन और कानून को जूते की नोक पर रख कर कभी शंभू रैगर बनेंगे तो कभी बाबू बजरंगी तो कभी संजी राम तो कभी दीपक खजूरिया , और इस सबके लिए मुख्य अपराधी नरेन्द्र मोदी है।


आसिफ़ा के साथ मंदिर में हुए बलात्कार का भी अप्रत्यक्ष रूप से मुख्य दोषी नरेन्द्र मोदी ही है क्युंकि वह ही ऐसे लोगों के प्रेरणाश्रोत हैं , वह ही ऐसे लोगों का रोल माडल है , वह ही ऐसे लोगों को पुरुस्कार देकर प्रोत्साहित करते हैं।


सोचिएगा कि आसिफा , निर्भया जैसी भाग्यशाली यदि नहीं तो केवल इसलिए कि वह एक मुसलमान है।


निर्भया से अधिक विभत्सता और सिरहन लिए 8 साल की "आसिफा" इन 8 दिनों में मंदिर के भगवान के सामने बेहोशी में बार बार भोगी गयी , कानून के रखवालों ने बार बार भोगा , और इतनी बार भोगा कि उसका यूट्रस चिथड़े चिथड़े हो गया , वह मर गयी तो उसके सर पर पत्थर पटके गये , फिर भी ऐसा करने वालों के साथ भगवा ब्रिगेड खड़ी है तो निर्भया भाग्यशाली ही थी कि उसके साथ ऐसा नहीं हुआ और पूरा देश मोमबत्ती जलाए खड़ा था।


आसिफ़ा के लिए तो एक मोमबत्ती भी ना जली तो क्युं ? क्युंकि वह एक मुसलमान थी।


काश की आसिफ़ा एक काश्मीरी पंडित होती और आरोपी मुसलमान होते तो लोगों की भावनाएं उसके लिए उफान मार कर बाहर आतीं।

काश कि काश्मीरी पंडितों पर रोने वाले इस आसिफ़ा पर भी दो आँसू रो लेते। काश कि आसिफ़ा को लिखा यह पत्र देश को झगझोर पाते।


प्यारी आसिफ़ा


मै जानता हुं कि अब आप मेरी बात को नही सुन पायेंगी , आप अब इस दुनिया को छोड़ चुकी हैं, हम और हमारी यह दुनिया आपके लायक थी ही नहीं थी बेटा , हम इन्सानों के भेष में भेड़िये हैं , जल्लाद हैं , हम पुरुष हैं बेटी , हमने इन्सानियत का स्तर इतना नीचे गिरा दिया कि शायद इस घटिया इन्सानी वहशीपन को देखकर शैतान भी शर्म से मर जाये।


आपका बलात्कार और आपका खुन हम सब पुरुषों ने मिल कर किया है , सारे भारत के पुरुषों ने किया है , धार्मिक अंधेपन में , हम इंसान नहीं हो सकते हम केवल पुरुष हैं , इंसानी खाल मे छुपे हुये वहशी भेड़िये से भी बर्बर।


आपके मरने के बाद , आपको इन्साफ मिले ये मेरी दिली ख्वाहिश है लेकिन ऐसा होना इस देश में असंभव है क्युंकि भारत एक बीमारु देश बन चुका है ।

काश , आप " ज्योति पांडे ( उर्फ निर्भया ) होती ,तो आपके लिए इंडिया गेट पर मोमबत्ती जलायी जातीं , नारे लगते और महिला संगठन आंदोलन करतीं और ब्राह्मणवादी मीडिया तुम्हारे लिए अभियान चलाती ।


प्यारी आसिफा , अलविदा बेटा , यह देश आपके लिए था ही नहीं , अच्छा हुआ आप मर गयीं।

आपको इस बीमारु देश मे न्याय नही मिल पाएगा।

क्युंकि आप "आसिफ़ा" हो। सोशल मीडिया से लिया गया लेख   
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Furkan S Khan

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