संजय तिवारी पत्रकार हैं, पोस्ट लिखते हैं कि एक घटना हुई जिसमें मुसलमान पति ने अपनी पत्नी को मार दिया और लाश के टुकड़े कर दिए.
उन्होंने आगे ये लिखा कि "निश्चित रूप से इसके लिए काट पीट की पूरी ट्रेनिंग चाहिए होती है मुसलमानों को ये ट्रेनिंग बहुत बचपन से मिलती है कुर्बानी कुर्बानी का जो खेल उन्हें बचपन में सिखाया जाता है, वह शायद ऐसे ही मौकों पर काम आता होगा". जब उनकी पोस्ट पर ऑब्जेक्ट करते हुए ये कहा गया कि क्राइम को धर्म से जोड़ कर न देखें और साथ ही एग्ज़ैम्पल देते हुए ये लिंक डाले गए भूमि रामचंदानी की लाश के सात टुकड़े करने के मामले में पति मनोज उम्रकैद
'तनु रजोरिया का मर्डर कर लाश के टुकड़े कर फ्रिज में रखने वाला पति गिरफ्तार', तो उन्होंने इन्हें बार बार इन कमेंट्स और लिंक्स को डिलीट कर दिया. तिवारी ज़ाहिर है एक ख़ास तरह का परसेप्शन बनाना चाहते हैं. ये नहीं चाहते कि इनको फॉलो करने वाले लोग दूसरा पक्ष भी देखें, बल्कि सिर्फ एक तरफ़ा नफरत और बदबूदार ज़हनियत का प्रोपेगंडा करते रहें,
लोगों को ब्रेनवाश करते रहें. हर क्राइम की घटना से करोड़ों लोगों को जज करने बैठ गए तो जीना मुश्किल हो जाएगा. कितने ही हिन्दू, मुसलमान हैं जो रोज़ क़त्ल और दुसरे अपराध करते हैं. ये खुले आम नफरत फैला रहे हैं. देश के हिन्दुओं-मुसलमानों के बीच खाई पैदा करने, इसी देश के एक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने और देश को कमज़ोर करने की कोशिश.
अफ़सोस की बात है इनको हज़ारों लोग फॉलो करते हैं और ये पत्रकारिता को किस तरह लोग बदनाम कर रहे हैं. इनको ऐसे झूट, नफरत और प्रोपेगण्डे से क्या मिलता है. क्या ये लोग ज़हनी तौर पर बीमार नहीं हो गए हैं. सोफिस्टिकेटेड लिबास में कितने शम्भू रेगर घूम रहे हैं. जिस लेवल पर ये लोग हेट को ले जा रहे हैं, उससे देश और समाज के लिए अब वाक़ई डर लगने लगा है. तिवारी की पोस्ट का लिंक नीचे है.
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स्क्रीनशॉट पत्रिका की साइट से |
उन्होंने आगे ये लिखा कि "निश्चित रूप से इसके लिए काट पीट की पूरी ट्रेनिंग चाहिए होती है मुसलमानों को ये ट्रेनिंग बहुत बचपन से मिलती है कुर्बानी कुर्बानी का जो खेल उन्हें बचपन में सिखाया जाता है, वह शायद ऐसे ही मौकों पर काम आता होगा". जब उनकी पोस्ट पर ऑब्जेक्ट करते हुए ये कहा गया कि क्राइम को धर्म से जोड़ कर न देखें और साथ ही एग्ज़ैम्पल देते हुए ये लिंक डाले गए भूमि रामचंदानी की लाश के सात टुकड़े करने के मामले में पति मनोज उम्रकैद
'तनु रजोरिया का मर्डर कर लाश के टुकड़े कर फ्रिज में रखने वाला पति गिरफ्तार', तो उन्होंने इन्हें बार बार इन कमेंट्स और लिंक्स को डिलीट कर दिया. तिवारी ज़ाहिर है एक ख़ास तरह का परसेप्शन बनाना चाहते हैं. ये नहीं चाहते कि इनको फॉलो करने वाले लोग दूसरा पक्ष भी देखें, बल्कि सिर्फ एक तरफ़ा नफरत और बदबूदार ज़हनियत का प्रोपेगंडा करते रहें,
लोगों को ब्रेनवाश करते रहें. हर क्राइम की घटना से करोड़ों लोगों को जज करने बैठ गए तो जीना मुश्किल हो जाएगा. कितने ही हिन्दू, मुसलमान हैं जो रोज़ क़त्ल और दुसरे अपराध करते हैं. ये खुले आम नफरत फैला रहे हैं. देश के हिन्दुओं-मुसलमानों के बीच खाई पैदा करने, इसी देश के एक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने और देश को कमज़ोर करने की कोशिश.
अफ़सोस की बात है इनको हज़ारों लोग फॉलो करते हैं और ये पत्रकारिता को किस तरह लोग बदनाम कर रहे हैं. इनको ऐसे झूट, नफरत और प्रोपेगण्डे से क्या मिलता है. क्या ये लोग ज़हनी तौर पर बीमार नहीं हो गए हैं. सोफिस्टिकेटेड लिबास में कितने शम्भू रेगर घूम रहे हैं. जिस लेवल पर ये लोग हेट को ले जा रहे हैं, उससे देश और समाज के लिए अब वाक़ई डर लगने लगा है. तिवारी की पोस्ट का लिंक नीचे है.
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किसी मनुष्य के शरीर को सात टुकड़ों में काटने के लिए बहुत बड़ा कलेजा चाहिए। और अगर वह व्यक्ति आपकी अपनी पत्नी हो तो फिर...
Posted by Sanjay Tiwari on Thursday, June 28, 2018