सुनो तुम हमेशा कहते हो न कि तुम हमसे प्यार नही करते में तुम्हे याद दिलाता हूँ
याद है ना तुम्हे जब हम छोटे थे तुम्हरे लिए जामुन तोड़ के लाते थे वो प्यार ही था
याद है ना तुम्हे जब हम और आप और सारे महल्ले के लड़के आम की बाग में थे और फिर अचानक अंधी आगई थी आप को बचाने के लिए मेरा सिर फुट गया था वो निशान आज भी 😭 लेकिन अफसोश आज आप नही हैं
याद है ना तुम्हे जब तुम स्कूल में पढ़ती थी हम आप के लिए हर रोज खाना लेके जाया करते थे वो प्यार ही था
याद है ना तुम्हे हम आप के लिए चार किलोमीटर दूर से बेरी तोड़ के लाया करते थे वो प्यार ही था
याद है ना तुम्हे जब तुम रूठ जाती थी तो मैं आप के लिए परेसान होके रो दिया करता था वो प्यार ही था
वो भी याद होगा जब हम तुम पास वाली नहर में नहाने जाते थे कितना अजीब था वो बचपन बहुत याद आता है अब तो मुझे सोने भी नही देता है और तुम कहती हो हमसे प्यार नही था हाँ सायद वो नादानियाँ थी
जानती हो तुम्हारी सारी यादें समेटे के दिल में रखी है बस हालात ने मुसाफिर बना डाला नही तो अभी कमाने की उम्र नही थी
सुनो तुम हमेशा कहते हो न कि तुम हमसे प्यार नही करते में तुम्हे याद दिलाता हूँ आया था कि कुछ करके तुम्हे पालूंगा लेकिन क्या खबर थी कि प्रदेश में सब कुछ मिलता है पर प्यार नही मिलता
सुनो तब घर भी नही था और न ही पैसे थे आज घर भी है पैसा भी है लेकिन यादें बहुत तड़पती हैं
जब भी आप के बारे में कुछ लिखने को दिल करता है बस कलम रुक जाती है सांस थम जाती है न जाने क्यों सिंस्कियाँ रहती हैं सीने में
कुछ भी अच्छा नही लगता है जब से सुना है तुम पराई हो गई हो बस यूं समझो जिंदगी जीने के लिए ही खाता हूं और सोता हूँ बाकी सारी रात तुम्हारी याद में ही गुजरती
जानती हो न जाने क्यों अब सब अजनबी से लगने लगे हैं सब मुझसे छूटने लगे हैं अपने भी पराई होने लगे हैं जब से तुम पराई हुवे हो
आज कल तो अम्मी भी पूछने लगी हैं बेटा क्या बात है हप्ते में तो एक फ़ोन कर लिया करो बस मायुंसी से कहदेता हूँ नही अम्मी आज कल बहुत जियादा काम रहता है बात नही हो पाती है
अब सोचा है कि धीरे धीरे अकेले रहने की आदत डालूं यह कमबख्त तुम्हारी यादें खाना भी नही खाने देती हैं
अक्स दोस्त पूछते हैं क्या बात है तू आज कल खोया खोया सा रहता है बात तक नही करता है तो मेरे पास कुछ जवाब नही रहता है बस कह देता हूँ नही दोस्त काम बहुत है आज कल
सुनो SK एक बात कहें क्या आप को भी ऐसा होता है कभी क्या आपने कभी मुझे याद किया है
थक सा गया हूँ तुम्हे याद करते करते अब और यादों का बोझ उठाया नही जाता है मुझसे
बस कभी मिलोगे तो एक ही सवाल करूँगा तुमसे क्या खता थी मेरी...
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फखरपुर